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उजागर हो रही सेंट्रल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही


टीओके ने डॉक्टरों पर लगाया लापरवाही बरतने का आरोप

उल्हासनगर. उल्हासनगर का सरकारी सेंट्रल अस्पताल वर्षों से विवादों में रहा है. ठाणे जिले में ये दूसरा बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाता है. यहां हर रोज सैकड़ों लोग उपचार के लिए आते हैं लेकिन यहां के डॉक्टरों द्वारा अक्सर मरीजों के साथ लापरवाही बरती जा रही है. आश्चर्य की बात ये है कि शिकायत के बावजूद शासन-प्रशासन अबतक सेन्ट्रल अस्पताल में चल रहे डॉक्टरों की लापरवाही पर न तो नकेल कस पाया है और ना ही अस्पताल में जरुरी संसाधन मुहैया करवाया है. बीते एक हफ्ते से ये अस्पताल चर्चा का विषय बना हुआ है. खासकर सोशल मीडिया पर लगातार लोग अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों के साथ बरती जा रही लापरवाही को लेकर टीम ओमी कालानी (टीओके) ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच कराए जाने तथा दोषी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.


इस बीच टीओके के एक प्रतिनिधि मंडल ने प्रवक्ता कमलेश निकम और शिवाजी रगड़े के नेतृत्व में अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ सुधाकर शिंदे से मुलाकात कर उन्हें अपनी नाराजगी से अवगत करवाया. आपको बता दें कि 20 अप्रैल को अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही के चलते शहर के वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर गवई की इंजीनियर बेटी कुमारी प्रणाली की मौत हो गई. रामेश्वर गवई का कहना है कि अगर समय रहते उनकी बेटी इलाज होता या अन्य अस्पताल में रेफर किया जाता तो मेरी बेटी की जान बच सकती थी. इसके बाद चार दिन पहले प्रसूति के लिए सेन्ट्रल अस्पताल गई महिला को दो बार वापस कर दिया गया जिसके बाद उस महिला ने घर में बच्चे को जन्म दिया। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तब उस महिला और उसके नवजात को अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां दोनों स्वस्थ्य हैं. वहीं तीसरा मामला बदलापुर के एक आदिवासी बच्चे की है जिसका हड्डी टूट जाने पर उसका इलाज करने में सेन्ट्रल अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा टाल मटोल किया गया. वहीं ताजा मामला फिर प्रसूति का आया है जब एक महिला सेन्ट्रल अस्पताल प्रसूति के लिए गई तो उसे कलवा के सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया गया. महिला अपने परिजन के साथ एम्बुलेंस से उक्त अस्पताल पहुंची जहां उसे ये कहकर लौटा दिया गया कि ये अस्पताल कोरोना मरीजों के उपचार में व्यस्त है. जब महिला वापस एम्बुलेंस से उल्हासनगर लौट रही थी तब रस्ते में बेहोश हो गयी जिसके बाद उसे सेन्ट्रल अस्पताल में भर्ती करवाया गया.

- स्वास्थ्य मंत्री से की गई शिकायत 


इस संदर्भ में टीओके के प्रवक्ता  कमलेश निकम ने बताया कि सेंट्रल अस्पताल में चल रही लापरवाही को देखते हुए टीओके द्वारा इसकी शिकायत राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से की गई है. वहीं टीओके प्रमुख ओमी कालानी ने मंत्री राजेश टोपे से इस संदर्भ में बात कर संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ जांच करवाने और दोषी पाए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

- सिविल सर्जन से टीओके का प्रतिनिधि मंडल मिला 

सेन्ट्रल अस्पताल के डॉक्टरों की लगातार लापरवाही सामने आते देख और लोगों को हो रही दिक्क्तों को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को टीओके प्रवक्ता कमलेश निकम और शिवाजी रगड़े के नेतृत्व में टीओके युवा अध्यक्ष सुंदर मुदलियार, कार्याध्यक्ष पंकज तिलोकानी, उपाध्यक्ष गुड्डू राय, ब्रिज बिहारी शुक्ला, पीयूष वाघेला,  नरेश सालवे, नरेश गायकवाड, मनीष हिंगोरानी, ख्वाजा कुरेशी आदि ने अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ सुधाकर शिंदे से मुलाकात कर उन्हें अपनी नाराजगी से अवगत करवाया और संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.
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