महाराष्ट्र में आंदोलनों से जुडे़ केस होंगे वापस
- एसटी महामंडल को 1000 करोड़ रुपए देने का फैसला
- बदले जाएंगे जाति आधारित कॉलोनियों के नाम
मुंबई। बुधवार को महाराष्ट्र सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं. महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सरकार ने महाराष्ट्र में ऐसे रिहाइशी कॉलोनियों के नामों को बदलने का निर्णय लिया है, जो जाति आधारित हैं. फिलहाल महाराष्ट्र कैबिनेट ने इसे लेकर प्रस्ताव पास कर दिया है. इसके अलावा राज्य में हुए प्रदर्शनों और आंदोलनों को लेकर भी सरकार ने बड़ा आदेश दिया है. सरकार ने वर्ष २०१४ से दिसंबर 2019 तक हुए तमाम राजनीतिक और सामाजिक आंदलनों से संबंधित अदालती मामलों को वापस लेने का फैसला लिया है.
- फडनवीस सरकार की योजना की होगी जांच
बीते मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार ने देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार में शुरू हुई जलयुक्त शिवर योजना की जांच के आदेश दिए हैं. इसके लिए एक कमेटी भी गठित की गई है. इस कमेटी की अगुवाई पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय कुमार करेंगे. कुमार से 6 महीनों के भीतर जांच रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि जलयुक्त शिवर योजना एक महत्वकांक्षी जल संरक्षण योजना है. इस योजना को भाजपा सरकार की प्रमुख योजना माना जाता था.
- एसटी महामंडल को 1000 करोड़ रुपए देने का फैसला
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को केबिनेट की बैठक में एसटी महामंडल के कर्मचारियों के वेतन भुगतान की समस्या से निपटने के लिए 1000 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है. कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को मंजूरी दी. बताया गया है कि इससे पहले अक्टूबर महीने में एसटी महामंडल के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए सरकार ने आकस्मिक निधि से 120 करोड़ रूपये मंजूर किए थे ऐसे में 1000 करोड़ रूपये के पैकेज से १२० करोड़ रूपये की कटौती कर ८८० करोड़ रूपये का भुगतान ६ मासिक किस्तों में राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. शीतकालीन सत्र में इस राशि को पूरक मांग के रूप में अनुमोदित किया जायेगा। इसके तहत नवंबर २०२० से मार्च २०२१ के लिए १५० करोड़ रूपये प्रति माह और अप्रैल २०२१ के लिए १२० करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. बता देंकि एसटी महामंडल के कर्मचारियों की संख्या 99 हजार 787 है और सरकार द्वारा विभिन्नयात्रियों को यात्रा किराया में रियायत के रूप में निगम को 1700 करोड़ रुपये दिए जाते हैं। निगम के कुल खर्च का लगभग 40 प्रतिशत कर्मचारियों पर और 32 प्रतिशत ईंधन पर है। कोरोना संक्रमण के चलते 23 मार्च से लगे लॉकडाउन के बाद आवश्यक सेवाओं को छोड़कर, एसटी महामंडल की परिवहन सेवाओं को बंद कर दिया है, जिससे महामंडल के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और कर्मचारियों के लिए अपने वेतन का भुगतान करना मुश्किल हो गया है। लोगों के मन में आशंकाओं के कारण यात्रियों की संख्या अभी भी सीमित है। इसलिए, एसटी महामंडल को हो रहे नुकसान को देखते हुए, यह वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
- नागपुर के बजाए मुंबई में होगा शीतकालीन सत्र
बुधवार को महाराष्ट्र सरकार ने एक और बड़ी घोषणा की है. सरकार ने चौथे विधानसभा सत्र की जगह को बदलने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि नागपुर में होने जा रहे महाराष्ट्र विधानसभा के चौथे यानि शीतकालीन सत्र का आयोजन मुंबई में होगा. इसके लिए राज्य सरकार ने राज्यपाल के पास ये सिफारिस करने का निर्णय लिया है. ७ दिसंबर से नागपुर में ये अधिवेशन होने वाला था.
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